टीवी डेस्क. टेलीविजन अभिनेत्री शीन दास बहुत ही जल्द सीरियल 'दादी अम्मा दादी अम्मा मान जाओ' में नजर आने वाली हैं। शीन इससे पहले भी राजश्री प्रोडक्शन में बतौर लीड एक्ट्रेस काम कर चुकी हैं। शीन अपने आपको बहुत लकी मानती हैं क्योंकि ये पहली बार हुआ हैं जब राजश्री प्रोडक्शन ने अपनी लीड एक्ट्रेस को किसी शो में रिपीट किया हो। हाल ही में दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान, शीन ने अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ से जुडी कुछ बातें हमसे शेयर कीं।
शीन ने बताईं ये बातें
कम वक्त में अच्छा मुकाम मिल गया था
आमतौर पर, ये प्रोडक्शन हाउस एक्ट्रेसेस को रिपीट नहीं करते हैं लेकिन जब मुझे दोबारा इस शो के लिए कॉल आया, जाहिर हैं कुछ वक्त के लिए मुझे यकीन नहीं हुआ। मेरा पिछला शो 'पिया अलबेला' भले ही थोड़े वक्त के लिए चला लेकिन लगता है मैंने उस कम वक्त में काफी अच्छी रेपो बना ली थी और इसीलिए फिर से मौका मिला, काफी खुश हूं और मेकर्स की उमीदों पर खरी उतरने की मेरी पूरी कोशिश होगी।
वेटरन एक्टर्स की उमीदों पर खरा उतरना है
शो के लिए ऑडिशन दिया, कई सारे वर्कशॉप्स करने पड़े। टीम चाहती थी की मैं अपने आपको पुराने किरदार से बिलकुल अलग नजर आऊं। जिसके लिए हम हफ्ते में चार बार वर्कशॉप अटेंड करते थे। उस वर्कशॉप्स के दौरान अपने डायलॉग्स और बॉडी लैंग्वेज पर काफी मेहनत की। इस शो में कुछ वेटरन एक्टर्स भी हैं, उनकी उमीदों पर भी मुझे खरा उतरना है यकीन मानिए काफी मेहनत की है।
मैं भी बड़े और छोटे शहर का फर्क मिटाना चाहती हूं
शो की बात करें तो मैं पर्सनली इससे बहुत रिलेट करती हूं। छोटे शहर की लड़की जिसके मां-बाप नहीं हैं, उस पर कई सारी जिम्मेदारियां हैं लेकिन साथ ही उसके खुद के भी सपने हैं, जिसे वो पूरा करना चाहती है। मुझे पर्सनली लगता है की कई छोटे शहर की लड़कियों को बराबरी का मौका नहीं मिलता है क्योंकि आप जब भी बड़े शहर में जाते हो तब आपसे पहला सवाल किया जाता है की आप कहां से हो और उसके हिसाब से आपको जज किया जाता है। कितने भी बड़ी डिग्री आपने हासिल क्यों ना की हो, कहीं-न-कहीं आप कौन से शहर से हो, ये मायने जरूर रखता है कुछ लोगों के लिए। मेरे साथ भी हुआ है और सच कहूं तो मेरे किरदार की तरह मैं भी बड़े और छोटे शहर का फर्क मिटाना चाहती हू।
अगर एक्टर नहीं होती तो जर्नलिस्ट जरूर होती
मैं हमेशा से ही एक्टर बनना चाहती थी, लेकिन समझ नहीं आ रहा था की इस सपने को पूरा करने की शुरुआत कहां से की जाए। मैंने जर्नलिज्म में कोर्स किया और दिल्ली में फिर एक न्यूज चैनल के साथ इंटर्नशिप की। जहां इस चैनल का ऑफिस था उसी के पास 'एयरलाइंस' नाम का एक शो की शूटिंग हुआ करती थी। वहां मैंने ऑडिशन दिया और एक वक्त हुआ यूं की शो की एक्टर सही से अपनी लाइनें पढ़ नहीं पा रही थी। प्रोडक्शन हाउस ने मुझे मौका दिया और मुझसे वो लाइनें कहलवाईं। मैंने सही से उसे कह दिया और बस फिर क्या, यही से मेरे एक्टर बनने की जर्नी शुरू हो गई। 'पिया अलबेला' से मुझे रियल पहचान मिली। अगर एक्टर नहीं होती तो जर्नलिस्ट जरूर होती।